लेखनी - हम..
हम...
आंखों में एक समंदर लिए ,
चल रहें हैं हम,
जिंदगी के इन लम्हों में,
यूं ही,
खाली बीत रहें हैं हम,
जाने कब छलक जाए,
इन आंखों में भरा समंदर,
रोकने की इसे,
भरपूर कोशिश कर रहें हैं हम,
तैरते, डूबते इसकी गहराइयों में,
खुद से ही लड़ रहें हैं हम ,
किनारे तक पहुंचने की आस में,
अंतहीन सफर कर रहे हैं हम।।
प्रियंका वर्मा
31/8/22
shweta soni
01-Sep-2022 09:50 PM
Behtarin rachana
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Raziya bano
31-Aug-2022 08:16 PM
Bahut khub
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Renu
31-Aug-2022 04:01 PM
👍👍
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